सोमवार, 31 मई 2010

अवतार


एक आस भी तुम ,
एक एहसास भी तुम,
साकार भी तुम,
निराकार भी तुम,

कण -कण मे बसे भगवान भी तुम
सरलता और मनुष्यता की पहचान भी तुम
वेदों का ज्ञान और रामायण का मान भी तुम
जीवन का अभिमान भी तुम
प्रभु ,अंतर यामी ,कहा हो तुम
अब तो जरुरत हैं संसार को तुम्हारे विराट रूप की
तुम्हारेनए गीता ज्ञान की
एक बार चले आओ ससार के उद्धारकरता
और देजाओ नयी स्रष्टि का वरदान तुम

तुम्हारी प्रतीक्षा मे अब नयन भी सुख गए हैं
आकर इनको सजल बना जाओ तुम |

4 टिप्‍पणियां:

  1. Radha Krishna Ji,
    Namaste,
    Tu Hi Tu, sarvatr, Ishwar ke guno ko darshati ek khubsurat rachna.
    Surinder Ratti

    जवाब देंहटाएं
  2. prabhu gungan,
    bas yun hi chalta rahe, baki to prabhu ki maya prabhu jane... :)

    जवाब देंहटाएं
  3. सरलता और मनुष्यता की पहचान भी तुम
    वेदों का ज्ञान और रामायण का मान भी तुम
    जीवन का अभिमान भी तुम

    bahut sundar rachna
    achha laga padhkar
    aabhaar

    जवाब देंहटाएं