मंगलवार, 12 जुलाई 2011
सोमवार, 31 मई 2010
अवतार
एक एहसास भी तुम,
साकार भी तुम,
निराकार भी तुम,
कण -कण मे बसे भगवान भी तुम
सरलता और मनुष्यता की पहचान भी तुम
वेदों का ज्ञान और रामायण का मान भी तुम
जीवन का अभिमान भी तुम
प्रभु ,अंतर यामी ,कहा हो तुम
अब तो जरुरत हैं संसार को तुम्हारे विराट रूप की
तुम्हारेनए गीता ज्ञान की
एक बार चले आओ ससार के उद्धारकरता
और देजाओ नयी स्रष्टि का वरदान तुम
तुम्हारी प्रतीक्षा मे अब नयन भी सुख गए हैं
आकर इनको सजल बना जाओ तुम |
बुधवार, 20 जनवरी 2010
अनकही
वो छु जाए ,तो क्या कहू ?
ये भी है अनकही
कहू तो क्या कहू ये भी है अन कही ?
पास है वो ,ये अहसास है ,
ये भी तो है अन कही
ये भी है अनकही
कहू तो क्या कहू ये भी है अन कही ?
पास है वो ,ये अहसास है ,
ये भी तो है अन कही
शनिवार, 16 जनवरी 2010
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